सफलता की कहानी”शिविर बना समाधान की मिसाल – वर्षों पुराना भूमि विवाद हुआ आपसी सहमति से समाप्त”

राजस्थान सरकार द्वारा आयोजित पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़ा – 2025 के अंतर्गत फतहगढ़ ग्राम पंचायत में आयोजित राजस्व शिविर में एक प्रेरणादायक और अनुकरणीय उदाहरण सामने आया, जिसने यह सिद्ध किया कि संवेदनशील प्रशासन , मजबूत नेतृत्व और जनसेवा के संकल्प से वर्षों पुराने विवादों का भी समाधान संभव है।

शिविर के दौरान, ग्राम फतहगढ़ के काश्तकार –पूजा/गोविंद प्रसाद,प्रहलाद/कालूराम खारोल,पोखर लाल/रामपाल,मून जांगिड/घीसालाल,सांवरलाल/रामेश्वरलाल ने उपखंड अधिकारी गुरु प्रसाद तंवर को अवगत कराया कि वे खसरा नंबर 425, रकबा 0.61 हेक्टेयर भूमि का आपसी बंटवारा करवाना चाहते हैं। लेकिन पारिवारिक मनमुटाव के चलते यह संभव नहीं हो पा रहा था।

इस पर उपखंड अधिकारी महोदय ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तहसीलदार सरवाड़ श्रीमती बंटी देवी राजपूत को निर्देशित किया। तहसीलदार द्वारा मौके पर ही काश्तकारों को विभाजन से होने वाले लाभों के बारे में विस्तार से समझाया गया, जैसे –सीमाज्ञान की स्पष्टता,पत्थरगढी की सुविधा,बैंक ऋण की सुविधा,अनावश्यक नामों की बढ़ोत्तरी से मुक्ति,प्रशासन की संवेदनशीलता और त्वरित समाधानात्मक दृष्टिकोण से प्रेरित होकर सभी काश्तकारों ने आपसी सहमति से तत्काल विभाजन के लिए सहमति दी और मौके पर ही राजस्व कार्यवाही पूर्ण की गई।परिणाम:वर्षों पुराना विवाद समाप्त,परिवारों को राहत,गांववासियों में प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा, न्याय और सेवा का वास्तविक लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुँचा, काश्तकारों ने कहा कि यदि यह शिविर न होता, तो उन्हें कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते। उन्होंने तहसील प्रशासन, शिविर प्रभारी एवं माननीय मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का धन्यवाद ज्ञापित किया और आग्रह किया कि ऐसे शिविरों का आयोजन नियमित रूप से किया जाए।

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