केकड़ी
केकड़ी। बार एसोसिएशन केकड़ी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक महत्त्वपूर्ण ज्ञापन भेजते हुए मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 166(3) में संशोधन की मांग की है। ज्ञापन में कहा गया है कि वर्तमान में दुर्घटना की तिथि से केवल 6 माह की अवधि के भीतर क्लेम याचिका दायर करने की बाध्यता, पीड़ितों के हितों के विपरीत है और यह अधिनियम के लोक-कल्याणकारी उद्देश्य को प्रभावित करती है।
बार एसोसिएशन का कहना है कि संशोधित अधिनियम से पूर्व इस प्रकार की कोई समयसीमा नहीं थी और अधिकांश मामलों में पुलिस जांच व चार्जशीट दायर करने में ही कई महीने लग जाते हैं। इसके अलावा, कई गंभीर मामलों में घायल व्यक्ति का इलाज लंबी अवधि तक चलता है, जिससे समयसीमा का पालन कर पाना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं हो पाता।
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि देश के अन्य कानूनों में दावे दायर करने की समय-सीमा अधिक है — जैसे कि सिविल मामलों में सामान्यतः तीन वर्ष, तथा कर्मकार मुआवजा अधिनियम में दो वर्ष तक का समय दिया जाता है। ऐसे में मोटर वाहन अधिनियम में मात्र 6 माह की समयसीमा तय करना न्यायसंगत नहीं है और यह कई पीड़ितों को न्याय से वंचित करने का कारण बन रहा है।
बार एसोसिएशन ने मांग की है कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166(3) में संशोधन कर इसे 6 माह के स्थान पर 2 या 3 वर्ष किया जाए, जिससे पीड़ितों को न्याय प्राप्त हो सके और अधिनियम का मूल उद्देश्य पूर्ण हो सके।
इस ज्ञापन के माध्यम से बार एसोसिएशन ने सरकार से कानून में शीघ्र संशोधन करने की अपील की है ताकि देशभर में लंबित मामलों को न्याय मिल सके और भविष्य में होने वाले अन्याय से बचा जा सके।