मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन की मांग, अधिवक्ताओं ने सौंपा ज्ञापन
केकड़ी।
बार एसोसिएशन केकड़ी के अधिवक्ताओं ने उपखंड अधिकारी के रीडर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन सौंपकर मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166 (3) में दी गई अवधि में संशोधन करने की मांग की है। ज्ञापन में बताया कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166 (3) में क्लेम याचिका प्रस्तुत करने की अवधि दुर्घटना की दिनांक से 6 महिने की निर्धारित कर रखी है, जो कि विधि के प्रावधानो के अनुसार गलत है, क्योंकि संशोधित अधिनियम से पूर्व क्लेम याचिका प्रस्तुत करने के लिए कोई अवधि निर्धारित नहीं थी और मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधान लोक कल्याणकारी है, जिसका मुख्य उद्देश्य मोटर दुर्घटना से मरने वालों के वारिसान व आहतों का को क्षतिपूर्ति राशि दिलवाना है। धारा 166 (3) में दी गई अवधि मौजूदा प्रावधानों के विपरीत है क्योंकि अधिकांश मामलों में पुलिस द्वारा अनुसंधान ही पूर्ण नहीं किया जाता है तथा कई दुर्घटना के मामलों में पीड़ित का सालभर से अधिक समय तक इलाज चलता रहता है, ऐसी सूरत में संशोधित अधिनियम में जो 6 महिने की अवधि निर्धारित की गई है व अधिनियम के लोक कल्याणकारी उद्देश्यों पर कुठाराघात है, जिसकी वजह से कई पीड़ित परिवारों को मुआवजे से वंचित किया जा रहा है। भारत देश के न्यायालयों में पेश किए जाने वाले अधिकांश लिटिगेशन के लिए निर्धारित समय अवधि तीन वर्ष है तथा कर्मकार अधिनियम के अधीन पेश किए जाने वाले दावों के लिए भी दो वर्ष की अवधि निर्धारित है। मौजूदा अधिनियम में जो अवधि निर्धारित की गई है, वह अवधि अन्य सभी अधिनियमों के प्रावधानों से भी असंगत होने की वजह से इसमें संशोधित किया जाना न्यायोचित एवं आवश्यक है। देश के विभिन्न न्यायालयों में ऐसी कई याचिकाएं लम्बित है, जो कि निर्धारित समय अवधि में प्रस्तुत नहीं की जा सकी हैं, क्योंकि घायल होने वाले आहत इलाज करवाने में व्यस्त रहे तथा सम्बन्धित पुलिस अधिकारी द्वारा चार्जशीट समय पर प्रस्तुत नहीं की गई है। ज्ञापन के माध्यम से मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166 (3) में निर्धारित अवधि 6 महिने के स्थान पर 3 या 2 वर्ष संशोधित करने की मांग की। ज्ञापन सौंपने के दौरान बार अध्यक्ष मनोज आहूजा, शैलेन्द्र सिंह राठौड़, सलीम गौरी, मुकेश शर्मा, नितिन जोशी, भूपेंद्र सिंह, रामवतार मीणा, निर्मल चौधरी, अनुराग पांडे, दशरथ सिंह आदि मौजूद थे।