केकड़ी ।रामद्धारा सत्संग समिति एवं रामद्वारा चातुर्मांस सत्संग समिति के संयुक्त तत्वावधान में रामस्नेही वाटिका में हो रही शिव महापुराण कथा की महिमा का वर्णन करते हुए संत रामशरण महाराज ने कहा कि परम पावन भगवान की असीम अनुकंपा से आप और हम सभी को भगवान का परम पावन ग्रंथ शिव महापुराण को सुनने का अवसर प्राप्त हुआ है।यह ग्रंथ भगवान शिव द्वारा ही प्रदत्त है ।

कथा में भगवान शिव के पंचांग मंत्र, विल पत्र की महिमा, पार्थिव शिवलिंग की महिमा, भस्म की महिमा, और भगवान शिव के पावन चरित्र पर प्रकाश का व्याख्यान करते हुए बताया कि बार-बार हमारा संसार में पुनर्जन्म होता है और आना-जाना लगा रहता है। महापुरुष कहते हैं कि भाव से भक्ति से भगवान शिव की पूजा करें तो पूजा से पुनर्जन्म से हमें छुटकारा दिलाता है।

मनुष्य को रुद्राक्ष धारण से चौथाई , भभूति भस्म धारण करने से आधा, मंत्र जाप से तीन चौथाई ,पूजा से पूर्ण फल प्राप्त होता है।
शिवलिंग की पूजा कर के मनुष्य मोक्ष को प्राप्त करता है जो इस पावन ग्रंथ को भाव से ध्यान पूर्वक पड़ता है या सुनता है उसकी शिव भक्ति शुद्ध हो जाती है और बढ़ती रहती है। प्रणव मंत्र की व्याख्या करते हुए बताया कि बड़े-बड़े संत मुनि भी इसका जाप व ध्यान करते हैं। इस मंत्र से मन की शुद्ध हो जाता है। गंध ,रास, स्पर्श, रूप, एवं अहंकार को जीत लेता है