राष्ट्रीय शिक्षा नीति केवल एक नीति नहीं अपितु प्रगति का जीवन्त अभिलेख -वाइसचांसलर डाॅ. अग्रवाल

। श्री प्रताप सिंह बारहठ राजकीय महाविद्यालय, शाहपुरा में एवं बखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (उच्च शिक्षा) के संयुक्त तत्वावधान में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020ः नीति से परिवर्तन‘ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यशाला की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पुष्कर राज मीणा ने की तथा मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. सुरेश कुमार अग्रवाल, कुलगुरु (वाइसचांसलर), महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर ने उद्घाटन सत्र में सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए। कार्यशाला में कुल तीन सत्रों का आयोजन हुआ। उद्घाटन सत्र के अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य ने बताया कि हमारा देश प्राचीन काल में ज्ञान-विज्ञान का उद्गम स्रोत था जिसकी झलक वेदों, उपनिषदों, ब्राह्मण ग्रंथो व आरण्यक आदि में देखी जा सकती है।

कालांतर में विदेशी ताकतों व औपनिवेशिक सŸााओं द्वारा इसे समाप्त कर अपनी अलग शिक्षा नीति को लागू किया जिसके केन्द्र में 185 वर्ष पुरानी मैकाले की शिक्षा नीति थी। आज समय आ चुका है जब हम मैकाबे की शिक्षा नीति को त्यागकर अपने आचार-विचार-व्यवहार में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अपनाएँ। मुख्य वक्ता कुलगुरु (वाइसचांसलर) डॉ.अग्रवाल ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 केवल सुधार मात्र न होकर सभ्यता के विकास का अगला चरण है। औपनिवेशिक ताकतों से आजादी मिलने के बाद भी स्वातंत्र्योŸार भारत में उन्ही नीतियों को भारत में आगे बढाया जो कि देश की अस्मिता के साथ खिलवाड था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक गतिहीन मसौदा न होकर गतिशील दृष्टिकोण (विजन इन मोशन) है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में राष्ट्रीय शब्द को शामिल करने का उद्देश्य शिक्षा में राष्ट्रीयता के तŸवों को समावेशित करना है। इसी कड़ी में शिक्षा के साथ-साथ भारतीय ज्ञान परम्परा के आयामों की खोज व उनका प्रलेखीकरण कर पुनः प्रचारित करना भी शामिल है। द्वितीय सत्र में डॉ. ऋचा अंगिरा तथा दिग्विजय सिंह ने विषय के विभिन्न आयामों पर विचार रखे। उन्होंने नीति के शिक्षार्थी-केंद्रित दृष्टिकोण, मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा, और मूल्यन आधारित शिक्षण पद्धति जैसे पहलुओं पर बल दिया। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. मूलचंद खटीक ने करते हुए बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में सम्मिलित मूल्य आधारित शिक्षण प्रणाली की जड़ें प्राचीन भारतीय गौरवशाली परम्पराओं के मूल में देखी जा सकती है। अंतिम सत्र में डॉ. सत्यनारायण कुमावत, अतिरिक्त मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, ने व्यावहारिक अनुभवों के माध्यम से बताया कि किस प्रकार शिक्षा नीति 2020 जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन हेतु दिशा प्रदान करती है। उन्होंने शिक्षा एवं उच्च शिक्षा में समावेशी शिक्षण, मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मक दक्षता के लक्ष्य को महत्वपूर्ण बताया। कार्यशाला में आसपास के शिक्षण संस्थानों से आए शिक्षकगण, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं शैक्षणिक अधिकारी उपस्थित रहे। सभी ने विषय पर संवाद और मंथन कर इसे शिक्षा के नवयुग की आधारशिला बताया। डॉ. रंजीत जगरिया ने कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

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