शिव महापुराण कथा में शिव विवाह प्रसंग को सुन भावविभोर हुए श्रद्धालु

केकड़ी 31जुलाई, सूरजपोल गेट स्थित रामस्नेही वाटिका में चल रही शिव महापुराण कथा में बुधवार रात्रि 8बजे से अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के संत रामशरण महाराज केलवा वालों ने शिव पार्वती विवाह का प्रसंग का वर्णन किया.

इस विवाह प्रसंग को सुन श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए. इस दौरान शिव पार्वती विवाह की भव्य झांकी का चरित्र चित्रण किया गया. ये झांकी श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बनी रही, विवाह प्रसंग के दौरान शिव पार्वती की झांकी पर श्रद्धालुओं ने पुष्प बरसाये. देवाधिदेव शिव एवं माता पार्वती के इस विवाह में श्रद्धालु झूमकर विवाह गीत गाने लगे. झांकी में शिव की भूमिका में अनिल मंत्री जबकि रेखा मंत्री ने माता पार्वती की भूमिका निभायी.
प्रसंग का वर्णन करते हुए संत रामशरण महाराज ने कहा कि पर्वत राज हिमालय की घोर तपस्या के बाद उनके घर अवतरित माता पार्वती बचपन से ही बाबा भोलेनाथ की अनन्य भक्त थीं, एक दिन पर्वतराज के घर महर्षि नारद पधारे और उन्होंने भगवान भोलेनाथ के साथ पार्वती के विवाह का संयोग बताया.


शिव जी का विवाह तय होने पर सभी देवी-देवता बड़े प्रसन्न हुए। जब महादेव दूल्हा बनकर तैयार हुए तो उनका स्वरूप सबसे अनोखा था। दूल्हे के रूप में शिव जी के गले में सांप और तन पर राख लिपटी हुई थी। शिव जी ने गले में नरमुंड माला धारण की हुई थी। एक हाथ में डमरू तो दूसरे हाथ में त्रिशूल शोभित था और शिवजी बेल पर सवार थे।
बारात में भूत-पिशाच, नंदी से लेकर यक्ष, गंधर्व, अप्सराएं, किन्नर आदि के साथ-साथ जानवर, सांप-बिच्छू भी शामिल थे। शिव जी के गणों में किसी का मुंह नहीं था, तो किसी के कई मुंह थे। इसी तरह बिना हाथ-पैर या कई हाथ पैर वाले गण शिव जी के बारात बने। बारात में शामिल सबी भूत-पिशाच, गण आद अपनी मौज-मस्ती में आगे बढ़ रहे थे।
उन्होंने कहा कि नंदी पर सवार भोलेनाथ जब भूत पिशाचों के साथ बरात लेकर पहुंचे तो उसे देखकर पर्वतराज और उनके परिजन अचंभित हो गए. लेकिन माता पार्वती खुशी से भोलेनाथ को पति के रूप में स्वीकार कर लिया.
शिव-पार्वती प्रसंग का वर्णन करते हुए संत रामशरण महाराज ने कहा की इस कथा के श्रवण से ही मनुष्य के सारे मानसिक व आत्मीय विकारों का अंत हो जाता है. उन्होंने कहा की ईश्वर के प्रति समर्पण भाव से ही प्रभु मिलते हैं. प्रसंग में बताया कि भगवान की कथा जीवन जीना सिखाती है व सनातन धर्म के प्रति उनके जीवन में संस्कार गढ़ती है. वहीं कथा के दौरान संत रामशरण ने अपने सहयोगी के साथ डम डम डमरू, भोलेनाथ स्वामी जैसे भक्ति गीतों से समां बांधा मौके पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु इस शिव महापुराण कथा में शिव विवाह के मनोरम दृश्य को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए.

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