केकड़ी । अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025 में प्रस्तावित संशोधनों के विरोध में जिला बार एसोसिएशन केकड़ी के अधिवक्ताओं ने उपखंड अधिकारी सुभाष चंद्र हेमानी को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। अधिवक्ताओं ने इस विधेयक को वकीलों के संवैधानिक अधिकारों का हनन बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की। डॉ मनोज कुमार आहुजा ने बताया कि यह विधेयक अधिवक्ताओं के मौलिक अधिकारों, विशेष रूप से अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। अधिवक्ताओं का कहना है कि उन्हें अपनी मांगों के लिए हड़ताल या बहिष्कार करने का अधिकार होना चाहिए, जिसे छीनना उनके अधिकारों का हनन होगा। अधिवक्ताओं ने इस विधेयक के कई प्रावधानों पर आपत्ति जताई। ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि प्रस्तावित विधेयक में वकीलों पर उनके पेशेवर आचरण को लेकर अनुचित रूप से जुर्माना लगाने और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को किसी भी वकील को तुरंत निलंबित करने का अधिकार देने की बात कही गई है। अधिवक्ताओं ने इसे अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा कि बिना उचित जांच के निलंबन का प्रावधान वकीलों की स्वतंत्रता को प्रभावित करेगा और न्याय प्रणाली में उनके अधिकारों को कमजोर करेगा। इसके अलावा अधिवक्ताओं ने इस विधेयक में विदेशी लॉ फर्मों को देश में कानूनी सेवा प्रदान करने की अनुमति देने के प्रावधान का भी विरोध किया। अधिवक्ताओं का मानना है कि इससे भारतीय वकीलों और लॉ फर्मों के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज कुमार आहूजा के नेतृत्व में सौंपे गए इस ज्ञापन में अधिवक्ताओं ने विधेयक को तुरंत रद्द करने की मांग की। इस दौरान मुकेश शर्मा, बुद्धि प्रकाश चौधरी, शिव प्रकाश चौधरी, सीताराम कुमावत सहित अन्य वकील भी उपस्थित रहे।