केकड़ी । श्री मिश्रीलाल दुबे उच्च माध्यमिक अकादमी, केकड़ी के प्रांगण में आज भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह के प्रतीक पर्व रक्षाबंधन का आयोजन हर्षोल्लास के साथ किया गया। इस अवसर पर विद्यालय परिवार के सभी सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि एम एल डी संस्थान के सचिव चंद्र प्रकाश दुबे , संस्थान के निदेशक डॉ अविनाश दुबे, अनिरुद्ध दुबे , प्रधानाचार्य नरेंद्र कुमार पारीक द्वारा दीप प्रज्वलन से हुई। विद्यालय के प्रधानाचार्य नरेंद्र कुमार पारीक ने अपने स्वागत भाषण में रक्षाबंधन के सांस्कृतिक एवं सामाजिक महत्व पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि यह पर्व सिर्फ रक्षा-सूत्र बांधने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पारस्परिक प्रेम, कर्तव्यनिष्ठा और सामाजिक सद्भाव की भावना को मजबूत करता है। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इसमें रक्षाबंधन से संबंधित गीत, कविताएं और लघु नाटिकाएं शामिल थीं, जिन्होंने पर्व के भावनात्मक पक्ष को दर्शाया। साथ ही विद्यालय की बहनों द्वारा केकड़ी शहर के कार्यालय ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, केकड़ी, पुलिस उपाधीक्षक केकड़ी, सदर पुलिस थाना केकडी, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट केकड़ी, ब्लॉक विकास अधिकारी केकड़ी, एस डी एम ऑफिस केकड़ी, नगर पालिका केकड़ी, राजकीय जिला चिकित्सालय केकड़ी, तहसील केकड़ी और पीएम श्री राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय केकड़ी, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बालिका केकड़ी, देवनारायण बालिका आवासीय विद्यालय केकड़ी आदि कार्यालय में समस्त स्टाफ के रक्षा सूत्र बांधकर और मुंह मीठा कराकर रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया। इस अवसर पर संस्थान निदेशक डॉ. अविनाश दुबे ने अपने उद्बोधन में बताया कि रक्षाबंधन का त्योहार हमें याद दिलाता है कि चाहे दूरियां हों या समय की दूरी, भाई-बहन के बीच का प्यार कभी कम नहीं होता. यह बंधन हर मुसीबत में साथ निभाने का वादा है. बहन की राखी में छुपा होता है भाई के लिए एक अनमोल एहसास उसकी सुरक्षा करने का, उसकी खुशियों में शामिल होने का और हमेशा उसका साथ देने का वादा करते हैं। विद्यालय की छात्राओं ने प्रधानाचार्य, शिक्षकों एवं अपने सहपाठी छात्रों को रक्षासूत्र बांधकर उनके दीर्घायु जीवन और सफलता की कामना की। इस दौरान आत्मीयता और भाईचारे का वातावरण बना रहा। मुख्य अतिथि चंद्रप्रकाश दुबे ने अपने संबोधन में कहा, “रक्षाबंधन का संदेश है कि हमें न केवल अपने परिवार की, बल्कि समाज के हर वर्ग, विशेषकर बहनों और बेटियों की रक्षा व सम्मान करने का संकल्प लेना चाहिए। यह पर्व हमें सामूहिक जिम्मेदारी का भी बोध कराता है।” उन्होंने विद्यालय प्रबंधन को इस सार्थक आयोजन के लिए बधाई दी। इस अवसर पर विद्यालय के समस्त शिक्षकगण, कर्मचारी और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम निश्चित रूप से विद्यालय परिवार में एकता, स्नेह और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देने में सफल रहा। इस उपलक्ष पर विकास सिंह शक्तावत ने भी एक पौराणिक कथा के माध्यम से अवगत कराया की जब भगवान श्री कृष्ण की उंगली में चोट लगी, तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उस पर पट्टी बाँधी। उसकी दयालुता से अभिभूत होकर, कृष्ण ने उसकी रक्षा करने का वचन दिया—यह वचन उन्होंने कौरव दरबार में उसके अपमान के दौरान भी निभाया। और बताया कि रक्षाबंधन के पीछे की यह कहानी इस त्योहार के निष्ठा और सुरक्षा के प्रतीक को रेखांकित करती है। कार्यक्रम का समापन विद्यालय की शिक्षिका रितिका खींची के धन्यवाद ज्ञापन के साथ शांति मंत्र का उच्चारण कर हुआ।