“थोथे चना, बाजे घणा ” वाली कहावत इस बजट में चरितार्थ हो रही है। मिडल क्लास समाज से टेक्स के रूप में लाखों करोड़ों ऐंठने के बाद सरकार द्वारा केवल बारह लाख रुपए की छूट देना बहुत कम है। वित मंत्री महिला होने के नाते ही सही कम से कम महिला सशक्तिकरण पर कुछ तो घोषणा करनी चाहिए, महिलाओं के हित की कोई नई घोषणा नहीं करी। बढ़ती हुई महंगाई को देखते हुए इस बार उम्मीद थी कि मनरेगा का बजट बढ़ेगा परंतु भाजपा सरकार ने इस विषय पर कोई गंभीरता से बजट में बात नहीं रखी है।
युवा वर्ग के लिए सरकारी नौकरियों का कोई नया कार्यक्रम ओर भर्ती हेतु डाटा नहीं बनाया गया। युवा आज बेरोजगारी से त्रस आ रहे हैं , बेरोजगारी का आलम यह हो चुका है कि प्रोफेशनल कोर्स करके भी आज दस हजार की नौकरी पाना मुश्किल हो गया है।
राजस्थान के भाग्य में शायद इस बजट में कुछ लिखना भूल गए तभी तो कोई महत्वपूर्ण योजना या घोषणा से वंचित रह गया।
अतः वर्तमान बजट समय के हिसाब से एक धोखा है इस बजट में युवा, महिला और किसान वर्ग को निराशा ही हाथ लगी है ।